Akbar Birbal ki sachi kahani in Hindi : Story in Hindi with moral for class 10
Akbar Birbal ki Sachi Kahani in Hindi : Story in Hindi with moral for class 10

#1 . बादशाह का स्वप्न Akbar Birbal ki sachi Kahani
Story in Hindi with moral for class 10 एक बार शाम के समय Akbar Birbal ki sachi kahani बगीचे में चहलकदमी कर रहे थे । अचानक Akbar को Birbal का मज़ाक करने की इच्छा हुई । उसने बीरबल से कहा , ” कल रात मैंने एक विचित्र सपना देखा , लेकिन वह तुम्हें बताने लायक नहीं है ।
Birbal समझ गया कि Akbar उसका मज़ाक उड़ाना चाहता है । फिर भी उसने नम्रतापूर्वक कहा , “ अरे जहाँपनाह ! यह तो स्वप्न है । स्वप्न सच थोड़े ही होता है ।
आपने सपने में जो देखा हो , उसे कह डालिए । ” नहीं , नहीं Birbal , तुम्हें बुरा लगेगा । सपना ऐसा विचित्र है कि तुम उसे सुनना पसंद नहीं करोगे । ” अकबर बात को रंग लगाता हुआ बोला ।
बीरबल ने कहा , “ जहाँपनाह ! मैंने आपकी किसी बात का कभी बुरा नहीं माना । फिर भी आप उसे न बताना चाहें तो कोई बात नहीं । ” “ अरे ! नहीं , नहीं , सुनो ! अब तो तुम्हें बताना ही पड़ेगा ।
‘ ‘ बादशाह मन – ही – मन सोचने लगा कि कहीं बीरबल मना न कर दे , नहीं तो हाथ में आया अवसर निकल जाएगा । उसने कहना शुरू किया : ” कल रात मैंने सपने में देखा कि शाम के समय हम दोनों सैर करने निकले ।
वहाँ रास्ते के एक ओर दो बड़े – बड़े कुंड बने हुए थे । एक में शहद था और दूसरे में कीचड़ ।
अचानक हम दोनों के पैर फिसल गए । इतने में मैं शहद भरे कुंड में गिर पड़ा और तुम कीचड़ भरे कुंड में ।
” बीरबल ने अकबर से पूछा , “ जहाँपनाह , फिर क्या हुआ ? ” अकबर ने कहा , “ फिर क्या होगा ? मेरी आँखें खुल गईं । सपना पूरा हो गया । “
बीरबल ने कहा , ” अरे वाह ! कमाल की बात है ! मैंने भी कल रात कुछ ऐसा ही सपना देखा था ।
लेकिन मेरा सपना कुछ अधिक समय तक चला था । ” अकबर बीरबल की ओर देख रहा था ।
उसने कहा , ” अच्छा , तो उस सपने में आगे क्या हुआ , जल्दी बताओ । ” बीरबल ने कहा , ” छोड़िए जहाँपनाह ! सपने का क्या , वह तो बेसिरपैर का होता है ।
यह सुन कर बादशाह को बीरबल के सपने के बारे में जानने की उत्सुकता और बढ़ी । ” नहीं , नहीं । बीरबल , तुम बताओ तो सही , आख़िर आगे क्या हुआ ? ” बीरबल ने कहा , “ जहाँपनाह , हम दोनों उन कुंडों से बड़ी मुश्किल से बाहर निकल पाए ।
आपके पूरे शरीर पर शहद लिपटा हुआ था और मेरे पूरे शरीर पर कीचड़ । ” यह सुन कर अकबर खुश होता हुआ बोला , “ बिलकुल ठीक । ऐसा ही हुआ था । यहाँ तुम्हारा सपना भी पूरा हो गया होगा ।
” बीरबल ने कहा , ” नहीं , जहाँपनाह ! इसमें खास बात तो अब आती है । फिर हुआ यह कि कुंड से बाहर निकलने के बाद आप मुझे चाटने लगे और मैं आपको । और सपना पूरा हो गया ।
पर आप बुरा मत मानिएगा । सपना तो आखिर सपना ही होता है । वह सच थोड़े ही होता है ? ” बादशाह बीरबल का मज़ाक उड़ाने चला था , लेकिन उसको यह मज़ाक महँगा पड़ा ।
#2. sachi kahani बेहोश साक्षी Story in Hindi with moral for class 10

Akbar Birbal ki sachi kahani in Hindi एक ब्राह्मण दिल्ली की सैर करने गया था । वह दिल्ली में किसी को पहचानता नहीं था । फिर भी एक व्यापारी ने दया करके उसे आश्रय दे दिया । उसने उसे भोजन कराया और रात में सोने के लिए एक कमरा दिया
। उस समय दिल्ली में चोरों का बहुत आतंक था । अकबर के सिपाही रात में पूरे शहर में घूम – घूम कर पहरा देते थे । पहरेदारों में एक सिपाही स्वयं ही चोर था ।
वह रात में शहर में घूमते – फिरते छोटी – मोटी चोरियाँ कर लिया करता था । ब्राह्मण जिस व्यापारी के घर रात में ठहरा था , वह सिपाही वहीं आ पहुँचा ।
ब्राह्मण जहाँ सो रहा था , उसी कमरे में सेंध लगा कर सिपाही अंदर घुस गया । एक कोने में मकान – मालिक का ताला लगा हुआ संदूक पड़ा था ।
सिपाही उसे उठा कर चलता बना । तभी खड़खड़ाहट सुन कर ब्राह्मण जाग गया । उसने संदूक को ले कर भागते सिपाही को पकड़ लिया ।
सिपाही ने ब्राह्मण को फुसलाया , “ तू मुझे छोड़ दे , इस संदूक में से जो निकलेगा , मैं तुझे उसका आधा भाग दे दूंगा । “1 ” यह ब्राह्मण नहीं माना ।
वह शोर मचा कर मकान – मालिक को जगाने वाला ही था कि सिपाही ने शोर मचाना शुरू कर दिया । शोर सुन कर व्यापारी जाग उठा और वहाँ आ पहुँचा ।
सिपाही ने कहा , ब्राह्मण तुम्हारा संदूक ले कर भाग रहा था , इसलिए मैंने इसे पकड़ लिया है । देखो ! इसने कोठरी में सेंध भी लगाई है । ” व्यापारी को सिपाही की बात सच लगी ।
सिपाही ने चोर को रंगे हाथों पकड़ा था , इसलिए यह मामला राज दरबार में पहुँचा । सिपाही , ब्राह्मण और व्यापारी को बीरबल के सामने हाजिर किया गया ।
सबसे पहले बीरबल ने अपने एक विश्वासपात्र आदमी के कान में कुछ कहा और उसे बाहर भेज दिया । फिर सिपाही और ब्राह्मण को अपने पास बुलाया और दोनों से पूछताछ करने लगा ।
इतने में बीरबल ने जिस आदमी को बाहर भेजा था , वह वहाँ दौड़ता हुआ आया । उसने बीरबल से कहा , “ हुजूर ! मैं और मेरा बेटा महादेव के मंदिर में दर्शन करने गए थे ।
मंदिर से बाहर निकलते ही मेरा बेटा गिर पड़ा और बेहोश हो गया । उसे वहाँ से उठा कर दवाखाने ले जाना है । क्या इसके लिए आप मुझे दो आदमी देंगे ? “
बीरबल ने उससे कहा , “ तुम यहीं खड़े रहो । मुझे तुमसे जरूरी काम है । मैं इस सिपाही और ब्राह्मण को मंदिर भेज देता हूँ । ये तुम्हारे बेटे को मंदिर से उठा कर यहाँ ले आएँगे । तुम इसकी चिंता मत करो ।
” सिपाही और ब्राह्मण मंदिर पहुंचे । उन्होंने वहाँ बेहोश पड़े लड़के को उठा लिया । रास्ते में ब्राह्मण ने सिपाही से कहा , ” भाई ! तुमने ही उस व्यापारी के घर में सेंध लगाई थी ।
तुम उसका संदूक चुरा कर भाग रहे थे । मैंने तो तुम्हें चोरी करने से रोका था । फिर लोगों के आगे झूठ बोल कर तुमने मुझे चोरी के अपराध में क्यों फँसा दिया ? ” सिपाही ने कहा , ” तुम्हारी बात सही है , लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं है । मैंने चोरी के माल में से आधा भाग तुम्हें देने के लिए कहा था , फिर भी तुम नहीं माने । इसलिए अब तुम्हें सज़ा भोगनी पड़ेगी ।
” इस तरह बातें करते – करते लड़के को उठा कर दोनों बीरबल के पास पहुंचे । उन्होंने लड़के को नीचे सुला दिया ।
बीरबल ने सिपाही और ब्राह्मण को फिर से सच बोलने के लिए समझाया ।
पर वे दोनों चोरी का अपराध एक – दूसरे पर लगाते रहे । बीरबल ने कहा ” तुम दोनों इसी तरह करते रहोगे , तो मैं चोर को कैसे खोज पाऊँगा बीरबल का प्रश्न सुन कर बेहोश पड़ा लड़का उठ खड़ा हुआ ।
उसने Birbal से कहा , “ सही चोर यह सिपाही है ।
ब्राह्मण को चोरी के अपराध में इसने गलत तरीके से फँसा दिया है । ” फिर उसने ब्राह्मण और सिपाही के बीच रास्ते में हुई बातचीत बीरबल को कह सुनाई । Birbal ने ब्राह्मण को आदरपूर्वक छोड़ दिया और सिपाही को जेल में भेज दिया । Story in Hindi with moral for class 10 YE KAHANI AKBAR OR BIRBAL KI SACHI KAHANI HAI
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