Best Top 5 Akbar And Birbal Story In Hindi : अकबर और बीरबल की कहानी हिंदी में
Akbar And Birbal Story In Hindi: अकबर और बीरबल की कहानी हिंदी में

1. बहुरूपिये की परीक्षा Akbar And Birbal Hindi Story
Akbar And Birbal Story In Hindi दिल्ली शहर में एक बहुरूपिया तरह – तरह के वेश बना कर लोगों को रिझाया करता था ।
एक बार दिल्ली का शहंशाह Akbar स्वयं उसके खेल देखने आया ।
शहंशाह के साथ उसका रिसाला भी था ।
सभी दर्शक खूब तल्लीन हो कर बहुरूपिये के खेल देख रहे थे ।
अंत में बहुरूपिया बैल का हूबहू रूप धर कर आया । सभी देखने वाले बहुत खुश हुए । बहुत देर तक तालियों की गड़गड़ाहट होती रही ।
वहाँ एक छोटा – सा लड़का भी खड़ा हो कर खेल देख रहा था ।
उसने नीचे झुक कर जमीन से एक कंकड़ उठाया और बैल की पीठ पर फेंका ।
लड़का बैल के हाव – भाव देख कर खुश हो गया ।
उसने इनाम के तौर पर अपनी टोपी बैल पर फेंकी । तभी बादशाह की नजर उस पर पड़ी ।
बादशाह ने लड़के को अपने पास बुलाया ।
बादशाह ने पूछा , ” लड़के , तूने बैल पर टोपी क्यों फेंकी जहाँपनाह , मैंने इनाम के रूप में उसे यह टोपी दी है ।
” लड़के ने नम्रतापूर्वक कहा ।
बादशाह को लगा कि लड़का शरारती है । इसलिए उसने लड़के से पूछा , ” इनाम ! किस बात का इनाम ? कैसा इनाम ? “
लड़के ने विनयपूर्वक कहा , “ जहाँपनाह , बहुरूपिये ने हूबहू वेश बनाया है , इस बात का इनाम ।
मैंने बैल पर कंकड़ फेंक कर उसकी परीक्षा ली थी ।
पशु का स्वभाव है कि जब कोई वस्तु उसके शरीर को लगती है तब वह अपनी चमड़ी को कँपकँपाता है ।
कंकड़ लगते ही बहुरूपिये ने तुरंत पीठ थरथराई । बहुरूपिया मेरी परीक्षा में पास हुआ ।
” बादशाह ने कहा , ” लेकिन तुमने टोपी इनाम में क्यों दी ? ” लड़के ने कहा , “ जहाँपनाह , सच्ची परीक्षा हो और उसमें कोई पास हो तो इनाम चाहे एक टोपी हो या मुहर , दोनों समान हैं ।
बिना समझे यदि मुहर भी इनाम में दी जाए तो वह कौड़ी के बराबर ही मानी जाती है ।
” बादशाह समझ गया कि लड़का बहुत समझदार है । उसने लड़के को अपने यहाँ नौकर रख लिया ।
यही लड़का बाद में बीरबल के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
2. हरा घोड़ा Akbar And Birbal Story For kids
एक दिन बादशाह अकबर घोड़े पर बैठ कर बगीचे में घूमने गया । साथ में बीरबल भी था ।
चारों ओर हरे – भरे वृक्ष और हरी – हरी घास देख कर अकबर को बहुत मज़ा आया ।
उसे लगा कि बगीचे में सैर करने के लिए तो घोड़ा भी हरे रंग का ही होना चाहिए ।
उसने बीरबल से कहा , ” बीरबल मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए । तुम मुझे सात दिन में हरे रंग का घोड़ा ला दो ।
यदि तुम्हें हरे रंग का घोड़ा न मिला तो मुझे अपना मुँह मत दिखाना ।
” हरे रंग का घोड़ा तो होता ही नहीं है ।
अकबर और बीरबल दोनों को यह मालूम था । लेकिन अकबर को तो बीरबल की परीक्षा लेनी थी ।
बीरबल हरे रंग के घोड़े की खोज के बहाने सात दिन तक इधर उधर घूमता रहा । बाद में वह लौटा ।
उसने बादशाह से कहा , ” जहाँपनाह ! मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल गया है ।
” बादशाह को आश्चर्य हुआ । उसने कहा , “ मुझे जल्दी बताओ , वह हरे रंग का घोड़ा कहाँ है
“Birbal ने कहा , “ जहाँपनाह , यह काम थोड़ा मुश्किल है ।
उसके मालिक ने दो शर्ते रखी हैं । ” बादशाह ने कहा , ” वे दो शर्ते कौन – सी हैं ? ” बीरबल ने कहा , ” घोड़ा लेने के लिए आपको स्वयं जाना होगा । ” बादशाह ने कहा , “ यह तो बड़ी आसान शर्त है । मैं स्वयं उस घोड़े को लेने जाऊँगा ।
उसकी दूसरी शर्त क्या है ? ” Birbal ने कहा , ” घोड़ा खास रंग का है , इसलिए उसे लाने का दिन भी खास होता है ।
उसका मालिक कहता है कि सप्ताह के सात दिनों के अलावा किसी भी दिन आ कर इसे ले जाओ । Akbar And Birbal का मुँह देखता रह गया ।
Birbal ने हँसते – हँसते कहा , “ जहाँपनाह ! हरे रंग का घोड़ा लाना हो , तो उसकी शर्ते भी माननी ही पड़ेंगी
Akbar खिलखिला कर हँस पड़ा । Birbal की चतुराई से वह खुश हुआ । वह समझ गया कि बीरबल को मूर्ख बनाना सरल नहीं है ।
3. मीठी सज़ा Hindi Akbar And Birbal Story
बादशाह Akbar And Birbal दरबार में पधारे । सिंहासन पर बिराजमान होते ही उन्होंने दरबारियों से कहा , “ आज एक व्यक्ति ने मेरी दाढ़ी खींची है ।
कहिए , मैं उसे क्या सज़ा दूँ ? ” यह सुन कर सभी दरबारी सोचने लगे ।
वे परस्पर कानाफूसी करने लगे ।
थोड़ी देर के बाद एक दरबारी बोला , ” जहाँपनाह !
जिसने ऐसा दुस्साहस किया है , उसका सिर धड़ से उड़ा दिया जाए ।
” दूसरे दरबारी ने कहा , “ अरे , कौन ऐसा नालायक है जिसने ऐसी बेजा हिम्मत की ? उसे तो हाथी के पैरों तले कुचलवा देना चाहिए ।
” जितने Darbar , उतनी तरह की बातें । तरह – तरह की सज़ाएँ सुझाई गईं ।
उनकी बातें सुन कर बादशाह ऊब गया ।
अंत में उसने Birbal से कहा तुम क्या कहते हो Akbar दाढ़ी खींचने वाले को मुझे क्या सज़ा देनी चाहिए ?
बीरबल मंद – मंद मुस्कराया । फिर बोला , “ जहाँपनाह , आप उसे प्यार से मिठाई खिलाइए ।
इस अपराध की यही सज़ा है ।
” बीरबल के उत्तर से खुश हो कर बादशाह ने कहा , ” बीरबल , तुम्हारी बात सही है ।
लेकिन यह तो बताओ कि मेरी दाढ़ी किसने खींची होगी ? ” बीरबल ने कहा , “ जहाँपनाह !
छोटे शाहजादे के अलावा ऐसी हिम्मत कौन कर सकता है ? उसने तो प्यार से ही ऐसा किया होगा !
इसलिए उसे सजा में मिठाई खिलानी चाहिए ।
Akbar की बात सही थी । आज सुबह शाहजादा बादशाह की गोद में बैठा था ।
खेलते – खेलते उसने बादशाह की दाढ़ी खींची थी ।
चतुर बीरबल के जवाब से बादशाह खुश हुआ । अन्य सभी दरबारी लज्जित हो गए ।
4. Akbar And Birbal Hindi Story सच्चा बादशाह कौन ?
Akbar के दरबार में दूर – दूर से पंडित लोग आते रहते थे ।
वे तरह – तरह के कठिन प्रश्न ले कर आते और Akbar के दरबारियों से पूछते ।
दरबारी कई बार सही उत्तर न दे पाते । अंत में बीरबल की बारी आती ।
वह कठिन – से – कठिन प्रश्न का भी तुरंत उत्तर दे देता । इसलिए देश – विदेश में उसकी चतुराई की प्रशंसा होती थी ।
उन दिनों इजिप्त में एक बादशाह था । उसने भी बीरबल की चतुराई की प्रशंसा सुनी थी ।
उसने सोचा , ‘ मैं Birbal की चतुराई की परीक्षा लूँगा । देखू तो सही कि वह कितना चतुर है ! ‘ उसने अकबर को पत्र लिखा और बीरबल को इजिप्त भेजने की प्रार्थना की ।
अकबर ने बीरबल को इजिप्त भेज दिया । इजिप्त के मंत्री ने बड़े ठाट – बाट से बीरबल का स्वागत किया । फिर उसने बीरबल से कहा , ” आप कल दरबार में आइए । वहाँ बादशाह से आपकी मुलाकात होगी । “
बीरबल दूसरे दिन दरबार में गया । उसने वहाँ पाँच – पाँच बादशाहों को बैठे हुए देखा । सभी एक जैसे ! जरा – सा भी फर्क नहीं । वे एक ही जैसे सिंहासनों पर बैठे हुए थे । बीरबल ने बड़े ध्यान से उन पाँचों बादशाहों को देखा ।
उनका अच्छी तरह निरीक्षण किया । अंत में वह एक बादशाह के पास गया और उसने उसे अभिवादन किया । बादशाह को बहुत आश्चर्य हुआ ।
बादशाह ने Birbal से पूछा , “ मैं ही असली बादशाह हूँ , यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ ” Birbal ने कहा जहाँपनाह जो नकली बादशाह थे वे अपनेआप को असली बादशाह जताने के लिए तरह – तरह की चेष्टाएँ कर रहे थे । वे नजरें बचा कर आपकी ओर देखते रहते थे ।
परंतु आपको ऐसा करने की आवश्यकता ही नहीं थी । इसलिए आप स्थिर बैठे हुए थे । इस प्रकार मैंने फौरन आपको पहचान लिया । ” बीरबल की चतुराई से इजिप्त का बादशाह बहुत खुश हुआ । उसने बीरबल को भारी – भारी M पुरस्कार दिये ।
5. पेटू कौन ? Akbar And Birbal Story Hindi
अकबर को खाने का बहुत शौक था । इसलिए महल के बगीचे में बार – बार दावतों का आयोजन होता रहता था ।
इन दावतों में Akbar दरबारियों के साथ बैठ कर तरह – तरह के व्यंजनों का स्वाद लिया करता था । यदि बीरबल भी साथ होता तो फिर पूछना ही क्या था ? एक बार ऐसी ही एक दावत आयोजित की गई थी ।
Birbal Akbar के पास बैठा था । भोजन के बाद खजूर की कटोरियाँ आई । अकबर और बीरबल खजूर खाते और गुठलियाँ कुर्सियों के नीचे डाल देते । थोड़ी देर में कुर्सियों के नीचे गुठलियों के छोटे – छोटे ढेर लग गए ।
गुठलियों का ढेर देख कर अकबर ने सोचा , ‘ मैं आज बीरबल का खूब मज़ाक उड़ाऊँगा । ‘ उसने चुपके से अपनी कुर्सी के नीचे की गुठलियाँ पैर से बीरबल की कुर्सी के नीचे सरका दीं । बीरबल को इसका पता नहीं चला ।
फिर अकबर एकाएक खड़ा हो गया । सभी दरबारियों को सुनाते हुए वह जोर से बोला , ” अरे बीरबल ! तुम कितने सारे खजूर खा गये ? तुम इतने पेटू हो , यह तो मुझे मालूम ही नहीं था । “
सभी दरबारी Birbal की कुर्सी के नीचे गुठलियों का ढेर देख कर बादशाह का समर्थन करने लगे । बीरबल अकबर की चालाकी समझ गया । वह भी बहुत चतुर था ।
उसका मज़ाक उड़ाया जाए और वह चुप रहे , यह कैसे हो सकता था ? उसने तुरंत Akbar से कहा , ” जहाँपनाह , आपकी बात सच है । मैं पेटू हूँ , यह सही है । मैंने बहुत सारे खजूर खाए हैं , यह भी सच है ।
लेकिन आप सारे खजूर गुठलियों सहित कैसे खा गए , इस बात का मुझे आश्चर्य हो रहा है । फिर उसने दरबारियों से Akbar की कुर्सी के नीचे देखने के लिए कहा । दरबारियों ने देखा तो वहाँ एक भी गुठली नहीं थी ।
चारों ओर हँसी की लहर फैल गई । Akbar And Birbal का मज़ाक उड़ाने गया था , लेकिन खुद ही मज़ाक का पात्र बन गया । Akbar शरमा गया । लेकिन बीरबल अकबर को बहुत प्रिय था उसने Birbal को शाबाशी दी और दावत जारी रही ।
RELETED Akbar And Birbal Hindi MORAL story
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